2024 में सुप्रीम कोर्ट के तीन फैसले,देश की राजनीति के साथ-साथ आगामी आम चुनाव को भी सीधे प्रभावित कर सकते हैं जिसमें राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई चुनावी बांड योजना की संवैधानिक वैधता से जुड़ा मामला सबसे महत्वपूर्ण है ।
क्या है मामला
दरअसल चुनावी बांड योजना और नागरिकता कनून वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है जबकि परिवर्तन निदेशालय की शक्तियों की समीक्षा को लेकर जनवरी में विस्तार से सुनवाई होगी ।
केंद्र सरकार द्वारा राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए जनवरी 2018 में शुरू की गई चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 2 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।इस मामले पर सब की निगाहें इसलिए भी टिकी है क्योंकि इसका फैसला 2024 के लोकसभा चुनाव को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है ।
सरकार और ED पर क्या हैं आरोप
गौरतलब है की मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़,न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी आर गवई, जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की संवैधानिक पीठ के समक्ष याचिका कर्ताओं की ओर से कहा गया है कि राजनीतिक दलों के चंदा देने के लिए शुरू की गई गुमनामी चुनावी बांड योजना लोकतंत्र को नष्ट कर देगी क्योंकि यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है ।
केंद्र सरकार ने अदालत के क्या कुछ कहा
दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने योजना को सही बताते हुए कहा है कि इसकी शुरुवात राजनिति और चुनाव में काले धन को खत्म करने के लिए शुरू की गई है ।केंद्र सरकार ने संवैधानिक पीठ को यह बताया कि लोगों को राजनीतिक दलों को चंदे का स्रोत जानने का हक नहीं है ।आपको बतादें कि असम में नागरिकता से संबंधित मुद्दा हमेशा से चुनाव को प्रभावित करने का मुद्दा रहा है ।सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 12 दिसंबर को असम में नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6 A के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 17 याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।धारा 6 A असम समझौते के तहत आने वाले अप्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से संबंधित है ।
प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों की समीक्षा
वहीं सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की विशेष पीठ प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों की समीक्षा कर रही है ।इस मामले में जनवरी 2024 में विस्तृत सुनवाई शुरू होगी ।इस मामले में आने वाला नतीजा देश की राजनीति को काफी प्रभावित करेगा क्योंकि अभी यह आरोप लगाया जा रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय का इस्तेमाल विपक्षी पार्टी के नेताओं को दबाने के लिए किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट और याचिकाओं पर विचार कर रही है जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तारी,धन शोधन में शामिल संपत्ति की कुर्की,तलाशी और जब्ती समेत प्रवर्तन निदेशालय की अन्य शक्तियों को चुनौती दी गई है। शीर्ष अदालत ने 24 नवंबर को इस मामले की सुनवाई 8 हफ्ते के लिए स्थगित करते हुए जनवरी 2024 में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था ।विशेष पीठ ने सुनवाई स्थगित करते हुए सरकार को मामले में दाखिल संशोधित याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया था।